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पहाड़ से गिरा मलबा, सैलाब में धंसी गाड़ियां... उत्तराखंड के चमोली में बादल फटने से भयंकर तबाही...

एक ओर जहां देश के ज्यादातर राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। वहीं उत्तराखंड में भारी बारिश और बादल फटने से प्रकृति के बड़े खतरनाक संकेत मिल रहे हैं। चमोली से बेहद डराने वाली तस्वीरें सामने आईं हैं। देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली समेत कई जगहों पर भारी बारिश हो रही है। चमोली जिले में तो बादल फटने से भयंकर तबाही मच गई है। चमोली में बादल फटने के बाद तेज बारिश हुई और कई जगह लैंडस्लाइड भी हुआ। पहाड़ दरके और पहाड़ों से पत्थर टूटकर सड़कों पर आ गए। रोड ब्लॉक हो गई, कई गाड़ियां मलबे में फंसी हैं। प्रशासन ग्राउंड पर उतरकर लोगों के रेस्क्यू ऑपरेशन में लगा है। मलबे में फंसी SUV चमोली से बेहद डराने वाली तस्वीरें सामने आईं हैं जिसमें आप देख सकते हैं कि एक सफेद रंग की SUV पहाड़ के मलबे में फंसी है। अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे गिरा और जब तक SUV सवार लोग कुछ समझ पाते गाड़ी मलबे के बीच फंस गई। तुरंत आस-पास मौजूद लोगों ने किसी तरह SUV सवार लोगों को बाहर निकाला। बादल फटने से सबसे ज्यादा नुकसान पहाड़ों की लाइफलाइन सड़कों को होता है। इस वक्त सड़क पर सैलाब नजर आ रहा है और दूसरी तरफ गाड़ियां नजर आ रहीं हैं जो सड़क टूट जाने के चलते आगे नहीं जा सकती। ऐसे में कई लोग फंसे हैं जिनका प्रशासन रेस्क्यू कर रहा है।
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केदारनाथ यात्रा के लिए कैसे करें हेलीकॉप्टर बुक? जानें प्रक्रिया से लेकर किराए तक की जानकारी..

देश के कोने-कोने से हर साल लाखों लोग केदारनाथ भगवान के दर्शन करने जाते हैं, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आसानी से पैदल चल सकते हैं और कुछ ऐसे जो पैदल नहीं चल सकते हैं उनके लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ के दर्शन करने हर साल लाखों की संख्या में लोग जाते हैं। मान्यता है, भगवान शिव का यहां भैंसे के रूप में विराजमान है। वहीं, कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जो स्वयं प्रकट हुआ है। अगर आप भी  यहां जाने का प्लान बना रहे हैं और पैदल चलने में असमर्थ हैं तो आप हेलीकॉप्टर सेवा का लाभ ले सकते हैं। जानकारी दे दें कि केदारनाथ की यात्रा 2 मई से शुरू हो रही है, पर हेलीकॉप्टर सेवा के लिए बुंकिंग 8 अप्रैल से शुरू हो चुकी है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे कर सकेंगे हेलीकॉप्टर बुकिंग... जानकारी दे दें कि उत्तराखंड सरकार ने यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखते हुए इस बार बुकिंग प्रोसेस को और भी अधिक आसान कर दिया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आप घर बैठे केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर बुकिंग कैसे करें और क्या है इसका किराया? हेलीकॉप्टर के लिए कितना लगेगा पैसा? जानकारी दे दें कि केदारनाथ जाने के लिए आप अलग-अलग हेलीपैड से हेलीकॉप्टर सेवा का लाभ उठा सकते हैं। इस साल 2025 में केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा गुप्तकाशी, फाटा और सिरसी जैसे 3 प्रमुख हेलीपैड से चलाई जाएंगी, ऐसे में हर हेलीपैड पर किराया अलग-अलग है। जैसे फाटा से केदारनाथ के लिए एकतरफा किराया 6,074 रुपये, सेरसी से केदारनाथ जाने का एक तरफ का किराया 6072 रुपये और गुप्तकाशी से केदारनाथ जाने के लिए एक तरफ का किराया 8,426 रुपये है। जानकारी दे दें कि अगर आपने हेलीकॉप्टर सेवा बुक कर ली है और आपका प्लान कैंसिल हो गया है तो आप यह सेवा कैंसिल करना चाहते हैं तो यह सुविधा भी आपको मिल रही है। किन डाक्यूमेंट की होती है जरूरत? हेलीकॉप्टर बुक करने के लिए आपको केदारनाथ के रजिस्ट्रेशन नंबर और अपने आधार कार्ड के नंबर की जरूरत होती है। ऐसे में यात्रा के समय कराया रजिस्ट्रेशन डाक्यूमेंट और आधार कार्ड जरूर रखें। कैसे करें हेलीकॉप्टर की बुकिंग? पहले आपको वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर जाना होगा। यहां आपको केदारनाथ के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। फिर हेलीकॉप्टर बुक करने के लिए आपको वेबसाइट www.heliyatra.irctc.co.in पर जाएं। यहां नाम, फोन नंबर और मेल आईडी डालें और साइनअप करें। अब अपना रजिस्ट्रेशन नंबर डालें और यात्रा की तारीख, हेलीपैड और हेलीकॉप्ट की कंपनी चुने। अब अपना डिटेल भरें। इसके बाद रजिस्टर्ड नंबर या ईमेल पर भेजे गए ओटीपी डालें और फीस जमा करें। अंत में अपना टिकट डाउनलोड कर लें और प्रिंट निकाल लें। केदारनाथ की क्या है कहानी? माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने चचरे भाइयों (कौरवों) की हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की शरण लेनी चाही, लेकिन शिव जी इससे बचने के लिए खुद भैंसे का रूप धारण कर लिया और पांडवों को पहचान से बचने की कोशिश की थी और केदार पर्वत चले गए, फिर भीम ने केदार पर्वत के दोनों चोटी को फैला दिया और फिर सभी पशु बाहर निकल गए और उसी भैंसे के रूप में शिव भी निकलने लगे तो भीम ने पकड़ने की कोशिश की तो वे धरती में समाने लगे फिर भीम ने भैंसे की पीठ पकड़ ली। इसके बाद शिव प्रसन्न हुए और दर्शन देकर पांडवों को पाप से मुक्ति दिलाई।  
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बेकाबू रफ्तार का कहर! हरिद्वार में डिवाइडर से टकराई कार, उड़े परखच्चे, एक की मौत...

पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना के समय कार की रफ्तार इतनी तेज थी कि डिवाइडर से टकराते ही कार के परखच्चे उड़ गए. कार का दरवाजा इस टक्कर से कई मीटर दूर जा गिरा. उत्तराखंड के हरिद्वार में मंगलवार देर रात रफ्तार का कहर देखने को मिला है. हरिद्वार के रानीपुर झाल के पास डिवाइडर से कार की हुई टक्कर में एक शख्स की मौत हो जबकि कार में सवार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने मृतक की पहचान शगुन अग्रवाल के रूप में की है. घटना में घायल हुए दो लोगों को पास के अस्तापताल में भर्ती कराया गया है. जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है.  पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि ये घटना तेज रफ्तार की वजह से हुई है. पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना के समय कार की रफ्तार इतनी तेज थी कि डिवाइडर से टकराते ही कार के परखच्चे उड़ गए. कार का दरवाजा इस टक्कर से कई मीटर दूर जा गिरा. घटना में घायल हुए शख्स की पहचान यीशु के रूप में की गई है. बताया जा रहा है कि कार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की है. इस घटना में घायल दूसरे शख्स की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. 
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हरिद्वार केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग, कई मजदूर फंसे, दमकल विभाग की टीम मौके पर मौजूद

हरिद्वार केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग, कई मजदूर फंसे, दमकल विभाग की टीम मौके पर मौजूद हरिद्वार के एसपी ने बताया की आग में झुलसने के कारण एक व्यक्ति घायल हुआ है। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि कई मजदूर अभी भी फैक्ट्री के अंदर फंसे हुए हैं। उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के इब्राहिमपुर गांव में रविवार (6 अप्रैल) को देर रात एक केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। फिलहाल पुलिस और दमकल विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं। आग बुझाने का काम जारी है। बताया जा रहा है कि जब आग लगी, उस समय कई मजदूर फैक्ट्री में काम कर रहे थे और ये लोग अभी भी फंसे हुए हैं। हरिद्वार एसपी पंकज गैरोला ने बताया, "केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई और एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आग बुझाने के प्रयास जारी हैं।"
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केदारनाथ के रास्ते में इतनी बर्फ! हैरान रह जाएंगे आप, देखिए कैसे ग्लेशियर काट बन रहा रास्ता

केदारनाथ के रास्ते में इतनी बर्फ! हैरान रह जाएंगे आप, देखिए कैसे ग्लेशियर काट बन रहा रास्ता आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीमें पैदल मार्गों पर जमी मोटी बर्फ को हटाने में दिन-रात लगी हैं. पिछले साल आई आपदा से टूटे रास्तों की मरम्मत भी की जा रही है. विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम की यात्रा 2 मई से शुरू होने वाली है. इससे पहले जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और अन्य संबंधित टीमें यात्रा की तैयारियों में जुट गई हैं. सबका मकसद बस एक ही है, कपाट खुलने से पहले सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएं. ताकि यात्रा सुगम और भव्य तरीके से चल सके. प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती पैदल मार्गों पर जमी मोटी बर्फ को हटाने की है. बर्फ को हटाने के लिए दिन-रात काम चल रहा है. धाम सहित पूरे पैदल मार्ग पर 270 मजदूर बर्फ हटाने के कार्य में जुटे हुए है. मजदूरों ने पैदल मार्ग से बड़े-बड़े ग्लेशियरों को काटकर रास्ता तैयार कर दिया है. मंदिर के निकट तक रास्ता तैयार हो गया है. एक-दो दिन के भीतर धाम तक रास्ता तैयार हो जाएगा. धाम तक रास्ता तैयार होने के बाद आगामी यात्रा तैयारियांं की धाम में भी तैयारियां शुरू की जाएंगी. जबकि दूसरे चरण के पुनर्निर्माण कार्य भी शुरू हो जाएंगे. युद्ध स्तर पर चल रहा है काम मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जीएस खाती ने बताया कि सड़क मार्ग से लेकर केदारनाथ के पैदल रास्तों को तेजी से ठीक किया जा रहा है. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीमें पैदल मार्गों पर जमी मोटी बर्फ को हटाने में दिन-रात लगी हैं. पिछले साल आई आपदा से टूटे रास्तों की मरम्मत भी की जा रही है. डॉ. खाती ने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि श्रद्धालुओं को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. इसके लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है." वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. रामप्रसाद ने बताया कि इस बार केदारनाथ धाम में 17 बेड का अस्पताल तैयार हो रहा है. जैसे ही बर्फ हटाने का काम पूरा होगा, स्वास्थ्य विभाग की टीमें जरूरी सामान के साथ व्यवस्था जुटाने में लग जाएंगी. उन्होंने कहा, "गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल मार्ग पर सभी मेडिकल रिलीफ पॉइंट्स को ठीक किया जा रहा है. फाटा में इस बार हड्डी विशेषज्ञ डॉक्टर और एक्स-रे मशीन की सुविधा भी उपलब्ध होगी." इसके अलावा, यात्रा के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की मांग शासन से की गई है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें यह सुनिश्चित करने में जुटी हैं कि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो. बर्फबारी और आपदा के बाद रास्तों को सुरक्षित बनाना बड़ी चुनौती है. लेकिन, तैयारियां तेजी से चल रही हैं.  
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उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव आनंद बर्धन कौन हैं?

उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव आनंद बर्धन कौन हैं? पदभार संभालने के बाद बर्धन ने कहा कि आजीविका, रोजगार, कौशल विकास और ‘रिवर्स’ पलायन समेत सरकार की नीतियों का राज्य के विकास में सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करना प्रशासन की प्राथमिकता है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद बर्धन ने सोमवार को उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया.उनकी पूर्ववर्ती राधा रतूड़ी ने यहां राज्य सचिवालय में उन्हें पदभार सौंपा. रतूड़ी का विस्तारित कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया. रतूड़ी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव थीं. 1992 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बर्धन ने अपने 33 साल के कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं. पदभार संभालने के बाद बर्धन ने कहा कि आजीविका, रोजगार, कौशल विकास और ‘रिवर्स' पलायन समेत सरकार की नीतियों का राज्य के विकास में सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करना प्रशासन की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि आजीविका के नए-नए अवसरों पर काम करना तथा बुनियादी ढांचों का विकास करना राज्य की प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है . बर्धन ने कहा, ‘‘हमें शहरों को बेहतर बनाने तथा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए निरंतर कार्य करना होगा . इसके साथ ही जलसंरक्षण भी एक बड़ा मुददा है जिसका सामना पूरा विश्व कर रहा है. इन मुख्य मुददों पर आम नागरिक के हित में धरातल पर प्रभावी कार्य करने की जरूरत है.''  
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उत्तराखंड : दलित ने अपनी बेटी के विवाह के लिए मंदिर में प्रवेश न करने देने की शिकायत वापस ली

उत्तराखंड : दलित ने अपनी बेटी के विवाह के लिए मंदिर में प्रवेश न करने देने की शिकायत वापस ली दुल्हन के पिता ने बुधवार को अपनी शिकायत वापस लेने की अर्जी सदर की उपजिलाधिकारी रेखा आर्य को दी, जिसमें उसने कहा कि दबाव में आकर उसने शिकायत दर्ज कराई थी. उत्तराखंड के पौड़ी जिले में एक दलित व्यक्ति ने पुलिस के समक्ष मंगलवार को दर्ज कराई गई उस शिकायत को वापस लेने की अर्जी दी है, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि अनुसूचित जाति का होने के कारण उसे बेटी के विवाह के लिए मंदिर परिसर में घुसने की अनुमति नहीं दी गई. दुल्हन के पिता ने बुधवार को अपनी शिकायत वापस लेने की अर्जी सदर की उपजिलाधिकारी रेखा आर्य को दी, जिसमें उसने कहा कि दबाव में आकर उसने शिकायत दर्ज कराई थी. अपनी अर्जी में उन्होंने कहा कि तहसील पौड़ी के मनियास्यूं पट्टी स्थित आदिशक्ति मां भुवनेश्वरी मंदिर सांगुड़ा के पुजारी ने उनके साथ कोई अभद्रता नहीं की और न ही जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया. लड़की के पिता नकुल दास ने अपनी अर्जी में कहा कि उन्होंने मंदिर विकास मिशन के पदाधिकारियों के बहकावे में आकर इस मामले में शिकायत की थी. शिकायत वापस लेने की अर्जी में दास ने कहा कि पांच मार्च को उनकी बेटी की शादी बेड़गांव के एक युवक से मंदिर में होनी थी. उन्होंने कहा कि कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने अपनी बेटी की शादी मंदिर में करवाई. दास ने कहा कि आदिशक्ति मां भुवनेश्वरी मंदिर विकास मिशन और मंदिर पूजा सेवा समिति के पुजारियों के बीच विवाद चल रहा है. दास ने कहा कि उन्होंने मंदिर विकास मिशन अधिकारियों के दवाब में आकर मंगलवार को शिकायत दर्ज करायी थी. वहीं, प्रकरण के जांच अधिकारी और पुलिस के सर्किल अधिकारी त्रिवेंद्र सिंह राणा ने ‘पीटीआई भाषा' को बताया कि प्रकरण में मुकदमा दर्ज हो चुका है और उसकी विवेचना अभी जारी है.
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उत्तराखंड: पिंजरे में कैद तेंदुए को जलाया था जिंदा, कोर्ट ने 5 दोषियों को सुनाई सजा

उत्तराखंड: पिंजरे में कैद तेंदुए को जलाया था जिंदा, कोर्ट ने 5 दोषियों को सुनाई सजा वन विभाग ने 16 मई. 2022 को सपलौड़ी में दो पिंजरे लगाए थे जिनमें से एक पिंजरे में एक तेंदुआ कैद हो गया था. इस दौरान वन कर्मी जब पिंजरे में कैद तेंदुए को लेने के लिए गांव पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई और उसने तेंदुए को जिंदा आग के हवाले कर दिया था. पौड़ी: उत्तराखंड के पौड़ी जिले की एक अदालत ने करीब तीन साल पहले पिंजरे में कैद एक तेंदुए को जिंदा जलाने के मामले में सपलौड़ी गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान अनिल कुमार नेगी समेत पांच ग्रामीणों को एक-एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है. अभियोजन पक्ष ने यह जानकारी दी. अभियोजन पक्ष ने बताया कि पौड़ी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने बृहस्पतिवार को नेगी के अलावा, चोपड़ा गांव के देवेंद्र सिंह, सरडा गांव की सरिता देवी, भुवनेश्वरी देवी व कैलाशी देवी को घटना का दोषी ठहराते हुए कारावास की सजा के साथ ही 35-35 हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है. अर्थ दंड जमा न करने पर दोषियों को 15 दिन के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. उसने बताया कि जिले के पाबौ क्षेत्र के भट्टी गांव, सरड़ा, कुल मोरी व सपलौडी सहित क्षेत्र के कई गांवों में 2022 में तेंदुए का आतंक बना हुआ था. 15 मई 2022 को सपलौड़ी गांव की निवासी सुषमा देवी को तेंदुए ने अपना शिकार बनाया था. अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना के बाद ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने 16 मई 2022 को सपलौड़ी में दो पिंजरे लगाए थे जिनमें से एक पिंजरे में एक तेंदुआ कैद हो गया था. इस दौरान वन कर्मी जब पिंजरे में कैद तेंदुए को लेने के लिए गांव पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई और उसने तेंदुए को जिंदा आग के हवाले कर दिया था. मामले में वन दरोगा की तहरीर पर पुलिस कोतवाली पौड़ी में पांच नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम तथा लोक सेवक के कामकाज में बाधा उत्पन्न करने सहित भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.  
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चार धाम यात्रा समेत हेमकुंड साहिब के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू, जानिए जरूरी जानकारी

चार धाम यात्रा समेत हेमकुंड साहिब के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू, जानिए जरूरी जानकारी Char Dham Yatra Registration 2025: उत्तराखंड की चार धाम यात्रा समेत हेमकुंड साहिब यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन यात्रा वेब पोर्टल https://registrationtouristcare.uk.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.  उत्तराखंड में 20 मार्च से चार धाम यात्रा समेत हेमकुंड साहिब के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए हैं. 20 मार्च सुबह 7 बजे से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया और शाम 5 बजे तक 1,65,292 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. सबसे ज्यादा केदारनाथ धाम के लिए 53570 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. हेमकुंड साहिब के लिए 1,180 रजिस्ट्रेशन यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने जा रही है और ठीक 40 दिन पहले चार धाम समेत हेमकुंड के लिए श्रद्धालुओं के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन यात्रा वेब पोर्टल को खोला गया. इसके अलावा मोबाइल ऐप से भी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन की शुरुआत कर दी गई है. सुबह 7 से 5 बजे तक लगभग 1,65,292 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था, जिसमें यमुनोत्री धाम के लिए 30,224 यात्रियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. गंगोत्री धाम के लिए 30,933 श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. वहीं केदारनाथ धाम के लिए सबसे ज्यादा 53,570 लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. बद्रीनाथ धाम के लिए 49,385 श्रद्धालु ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. इसी तरह से हेमकुंड साहिब के लिए 1,180 तीर्थ यात्रियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. मोबाइल ऐप के जरिए भी 3167 यात्रियों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवाया. सिर्फ श्रद्धालुओं ने अपना चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण ही नहीं करवाया, बल्कि 1750 निजी वाहन भी पंजीकृत किए गए, जो चार धाम यात्रा में अपने वाहनों के द्वारा आना चाहते हैं. चार धाम यात्रा के लिए यहां करें रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड की चार धाम यात्रा समेत हेमकुंड साहिब यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन यात्रा वेब पोर्टल https://registrationtouristcare.uk.gov.in पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. मोबाइल ऐप के लिए tourist care uttrakhand (IOS) पर भी अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. इस बार चार धाम यात्रा में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाने वालों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है, यानी उत्तराखंड राज्य में पहली बार आधार नंबर बेस्ड चार धाम यात्रा और हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया है.  
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चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, इस बार की गई नई व्यवस्था, जानिए पूरी गाइडलाइन

चार धाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू, इस बार की गई नई व्यवस्था, जानिए पूरी गाइडलाइन Chardham Yatra Registration: चार धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. इस बार चार धाम यात्रा के पंजीयन के लिए नई व्यवस्था की गई है. जानिए पूरी गाइडलाइन. गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ... इन चारों धामों की यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. उत्तराखंड में स्थित इन चारों धामों की यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. चार धाम यात्रा के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इस साल चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पिछली बार की यात्रा से सबक लेते हुए इस बार की यात्रा में पिछली बार की गलतियां ना हो इसलिए सारी पुख्ता तैयारी पहले से ही कर ली गई है.  चार धाम यात्रा में भीड़ का मैनेजमेंट करने के लिए सरकार ने इस बार ऑनलाइन पंजीकरण और ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की है. जिसमें 60% ऑनलाइन पंजीकरण किया जाएगा और ऑफलाइन पंजीकरण 40% रहेगा. चार धाम यात्रा के लिए 20 मार्च 2025  से ऑनलाइन पंजीकरण शुरू कर दिया गया है. मालूम हो कि उत्तराखंड में 30 अप्रैल से चार धाम यात्रा शुरू होने जा रही है. 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे. इसके अलावा 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे और 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे. चार धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को इन बातों का रखना होगा ध्यान पंजीकरण के दौरान सही मोबाइल नंबर दर्ज करें. धामों में दर्शन टोकन अवश्य प्राप्त करें. यात्रा के दौरान ऊनी कपड़े, छतरी, रेनकोट आदि साथ रखें. वरिष्ठ नागरिक यात्रा से पहले स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं. पंजीकरण प्रक्रिया में सटीक जानकारी दर्ज करें. हेली यात्रा के लिए टिकट वेबसाइट heliyatra.irctc.co.in पर बुक करें. हेली टिकट प्रदान करने वाले अनाधिकृत व्यक्तियों से बचें. धामों में दर्शन कराने वाले अनाधिकृत व्यक्तियों से बचें. यात्रा के दौरान जरूरी दवाएं अपने पास रखें. यात्रा मार्ग पर गंदगी न फैलाएं. वाहन की गति नियंत्रित रखे और उचित स्थान पर पार्क करें. अस्वस्थ महसूस करने पर यात्रा टाल दें. यात्रा के पहले महीने में वीआईपी दर्शन पर रोक इसके अलावा यात्रा के पहले महीने में VIP दर्शनों पर रोक लगाई गई है. इसके लिए उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को इसकी जानकारी पत्र के माध्यम से भेज दी है. उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/signin.php पर आधार कार्ड के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं.  बिना पंजीकरण कराए नहीं कर सकेंगे दर्शन उत्तराखंड सरकर ने बताया कि चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करावाना अनिवार्य है. इसके बाद श्रद्धालु पंजीकृत तिथि पर चारों धामों में दर्शन कर सकेंगे. वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है.  पिछले साल 46 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए थे दर्शन पंजीकरण के बाद धामों में पहुंचने पर श्रद्धालु टोकन प्राप्त कर समय अनुसार भगवान के दर्शन कर सकेंगे. इसलिए हाथ से श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए घंटों इंतजार नहीं करना होगा. चार धाम यात्रा में भीड़ प्रबंधन के लिए इस बार यात्रा मार्गों पर राज्य सरकार ने 10 हजार श्रद्धालुओं के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की. क्योंकि पिछले साल 46 लाख से ज्यादा अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे.  
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उत्तराखंड में मौसम ने फिर ली करवट, बारिश और बर्फबारी ने बढ़ाई ठंड

उत्तराखंड में मौसम ने फिर ली करवट, बारिश और बर्फबारी ने बढ़ाई ठंड उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र ने उत्तराखंड में मौसम को लेकर जो रिलीज भी जारी की है, उसमे 13 मार्च से 17 मार्च तक बारिश, बर्फबारी और तेज हवाओं के साथ बिजली गिरने  की संभावना जताई थी. उत्तराखंड के कई जिलों में एक बार फिर बारिश और बर्फबारी होने से इन इलाकों में एक बार फिर मौसम ने यू टर्न मारा है. इन इलाकों में बीते कुछ दिनों की तुलना में ठंड बढ़ है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में मौसम विज्ञान केंद्र ने 15 मार्च और 17 मार्च के लिए बारिश और बर्फबारी का येलो अलर्ट जारी किया है. प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्र में खासकर यमुनोत्री गंगोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ और मुनस्यारी में बर्फबारी की संभावना मौसम विभाग ने जताई थी. इसके चलते गंगोत्री, यमुनोत्री ,खरसाली, जानकी चट्टी ,बद्रीनाथ ,हनुमान चट्टी और औली में सुबह से ही जमकर बर्फबारी हो रही है. बर्फबारी और बारिश के चलते तापमान में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है. मार्च का महीना आधा हो चुका है और अभी भी बदलते मौसम ने लोगों के लिए खासी दिक्कतें कर रखी है. वजह यही है कि अभी भी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हो रही है जिससे तापमान काफी नीचे आ गया है. इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों में बारिश की वजह से भी तापमान में काफी गिरावट आई है.  उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र ने उत्तराखंड में मौसम को लेकर जो रिलीज भी जारी की है, उसमे 13 मार्च से 17 मार्च तक बारिश, बर्फबारी और तेज हवाओं के साथ बिजली गिरने  की संभावना जताई थी. मौसम विभाग के मुताबिक 16 मार्च को उत्तरकाशी चमोली रुद्रप्रयाग बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बर्फबारी और बारिश की संभावना जताई है. इसके अलावा 17 मार्च को उत्तरकाशी रुद्रप्रयाग चमोली बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बारिश बर्फबारी के साथ तेज हवाओं के चलने की संभावना मौसम विभाग में जताई है. मौसम विभाग ने 3000 मीटर से लेकर 3500 मीटर तक प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना जताई है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्र की बात करें तो गंगोत्री नेशनल हाईवे के पास झांगथांग मैं ग्लेशियर आने की वजह से नेशनल हाईवे बंद हो गया है, लगातार बर्फबारी हो रही है. इसकी वजह से यातायात प्रभावित हुआ है तो दूसरी तरफ उत्तरकाशी के हर्षिल, गंगोत्री जानकी चट्टी यमुनोत्री में सुबह से बर्फबारी हो रही है. यही हाल चमोली जिले के ओली और बद्रीनाथ क्षेत्र का है. जहां सुबह से अच्छी खासी बर्फबारी हुई है जिस ऊंचाई वाले क्षेत्र की पहाड़ियां सफेद चादर से ढक गई है.उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्र की बात करें तो देहरादून और हरिद्वार मैं देर रात से तेज हवाओं के साथ बारिश हुई है, जिससे मैदानी क्षेत्रों में भी तापमान नीचे गिरा है.  देहरादून समेत हरिद्वार और नैनीताल जिले में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चली है. बद्रीनाथ और यमुनोत्री धाम में -3 डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया, केदारनाथ धाम में -1 डिग्री तापमान रहा तो ही गंगोत्री धाम में दो डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया. उत्तराखंड में चार बड़े शहरों में तापमान और मौसम की बात करें तो देहरादून में 24.4 डिग्री तापमान रहा, टिहरी जिले में 8.6 डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया साथ ही पंतनगर में 27.8 डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया. मुक्तेश्वर की बात करें तो 10 डिग्री तापमान रिकार्ड किया गया इसके अलावा अल्मोड़ा जिले में 11.3 डिग्री तापमान रहा.  
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार नई हेली सेवाओं का क‍िया शुभारंभ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार नई हेली सेवाओं का क‍िया शुभारंभ मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि नैनीताल अपनी सुंदर झीलों और धार्मिक स्थलों जैसे नयना देवी शक्तिपीठ और कैंची धाम के लिए प्रसिद्ध है. वहीं, बागेश्वर क्षेत्र अपने पवित्र बागनाथ मंदिर और उत्तरायणी मेले के लिए जाना जाता है. हेली सेवा के शुरू होने से अब पर्यटक इन क्षेत्रों की सुंदरता और संस्कृति का आनंद लेने में आसानी से पहुंच सकेंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार नई हेली सेवाओं का हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया है. इन सेवाओं के माध्यम से अब देहरादून से नैनीताल, बागेश्वर, मसूरी और हल्द्वानी से बागेश्वर तक हवाई कनेक्टिविटी स्थापित हो गई है. मुख्यमंत्री ने इन हेली सेवाओं के उद्घाटन के बाद सभी यात्रियों से वर्चुअल बातचीत भी की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हेली सेवाओं का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "उड़ान" योजना के तहत किया गया है, जिसका उद्देश्य हवाई यात्रा को आम आदमी तक पहुंचाना है. इससे राज्य में पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. बेहतर कनेक्टिविटी से स्थानीय लोगों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आएगा. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बागेश्वर, नैनीताल और मसूरी सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं. इन क्षेत्रों की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक मंदिर और समृद्ध संस्कृति देश और दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करती है. मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि नैनीताल अपनी सुंदर झीलों और धार्मिक स्थलों जैसे नयना देवी शक्तिपीठ और कैंची धाम के लिए प्रसिद्ध है. वहीं, बागेश्वर क्षेत्र अपने पवित्र बागनाथ मंदिर और उत्तरायणी मेले के लिए जाना जाता है. हेली सेवा के शुरू होने से अब पर्यटक इन क्षेत्रों की सुंदरता और संस्कृति का आनंद लेने में आसानी से पहुंच सकेंगे. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि देहरादून से इन स्थानों पर सड़क मार्ग से यात्रा करने में 8 से 10 घंटे लगते हैं, लेकिन हेली सेवा के शुरू होने से यह यात्रा महज एक घंटे में पूरी हो जाएगी. इसके अलावा, आपातकालीन स्थिति में इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी मदद मिलेगी. उत्तराखंड में अब तक 12 हेलीपोर्ट्स पर हेली सेवाएं सफलतापूर्वक शुरू हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 18 हेलीपोर्ट्स के निर्माण पर काम चल रहा है, जिससे प्रदेश के अन्य दूरदराज क्षेत्रों को भी हवाई कनेक्टिविटी मिलेगी. इन हेली सेवाओं से न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि आपातकालीन स्थितियों में इन सेवाओं से राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में राहत पहुंचाई जा सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के विस्तार की दिशा में भी काम कर रही है.  
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