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महागठबंधन की बैठक: स्ट्राइक रेट में है पूरा गेम, कांग्रेस, राजद, लेफ्ट, पारस, सहनी किसके खाते में होगी कितनी सीटें?

2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अलग समीकरणों पर हुआ था, लेकिन इस बार INDIA गठबंधन की छाया और जातीय गणित ने समीकरणों को और पेचीदा बना दिया है. बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है और महागठबंधन की सियासी बिसात एक बार फिर से सजने लगी है. इस बार पूरा खेल ‘स्ट्राइक रेट' के इर्द-गिर्द घूम रहा है. यानी किस पार्टी ने पिछले चुनाव में कितनी सीटों पर लड़ा, और कितनी सीटें जीतकर आई. पटना में आज महागठबंधन के दलों की अहम बैठक हो रही है, जहां सीट बंटवारे को लेकर अंतिम सहमति बनने की संभावना है. राजद, कांग्रेस, लेफ्ट, मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी और पशुपति पारस के नेतृत्व वाली पार्टी बैठक में हिस्सा ले रही हैं. इस बैठक में सीएम के नाम का भी ऐलान भी संभव है. चर्चा है कि राजद तेजस्वी यादव के नाम का ऐलान जल्द से जल्द चाहती है.  2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अलग समीकरणों पर हुआ था, लेकिन इस बार INDIA गठबंधन की छाया और जातीय गणित ने समीकरणों को और पेचीदा बना दिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हाल ही में गांधी मैदान में बड़ी रैली करने वाले एसपी गुप्ता को भी महागठबंधन अपने साथ ला सकता है. इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए भी सीमावर्ती इलाकों में सीटें छोड़ी जा सकती हैं. ऐसे में आज की बैठक केवल सीटों की संख्या तय नहीं करेगी, बल्कि 2025 के राजनीतिक समीकरणों की दिशा भी तय करेगी. 2020 की क्या थी तस्वीर?  2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने सबसे ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं, जबकि वाम दलों को कुल 29 सीटें दी गई थीं. तब राजद की अगुवाई में महागठबंधन ने कुल 243 सीटों में से 110 सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा था. उसे मिली 70 में से महज 19 सीटों पर ही जीत मिल पाई थी, यानी स्ट्राइक रेट करीब 27% का रहा. इसके उलट वाम दलों ने 29 में से 16 सीटें जीतकर 55% का स्ट्राइक रेट दिखाया था. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर इस बार सीट बंटवारे में स्ट्राइक रेट को प्रमुख मानदंड बनाया जा रहा है. महागठबंधन के सूत्रों की मानें, तो इस बार कांग्रेस को कम सीटें मिलने की पूरी संभावना है, जबकि लेफ्ट को पिछली बार से ज्यादा हिस्सेदारी दी जा सकती है. 2024 के लोकसभा चुनावों में INDIA गठबंधन के अस्तित्व ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी है. अब सीट बंटवारे में केवल बिहार स्तर की राजनीति ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के संकेत भी भूमिका निभा रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से भी सलाह दी गई है कि “विजेता को प्राथमिकता” की नीति अपनाई जाए. यही कारण है कि राजद जहां अपने परंपरागत क्षेत्रों में ज्यादा सीटें चाहता है, वहीं वामदल और छोटे सहयोगी दल इस बार बराबरी की मांग कर रहे हैं. जातीय संतुलन और क्षेत्रीय समीकरण बिहार में सबसे अहम बिहार की राजनीति में जातीय संतुलन हमेशा से सीट बंटवारे का आधार रहा है. इस बार भी यादव, कुशवाहा, दलित, महादलित, सवर्ण और मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए सीटों का वितरण किया जाएगा. कांग्रेस जहां मुस्लिम, दलित और सवर्ण मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं मुकेश सहनी निषाद समुदाय को साधने की कोशिश में हैं. महागठबंधन की रणनीति में यह भी है कि झारखंड की सीमावर्ती जिलों जैसे  जमुई आदि में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए कुछ सीटें छोड़ी जाएं, ताकि झारखंड से लगे क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ मजबूत की जा सके. पारस और सहनी को कितनी सीटें मिलेगी? पशुपति पारस और मुकेश सहनी की पार्टियों की स्थिति इस बार निर्णायक हो सकती है. सहनी की वीआईपी पार्टी ने 2020 में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार वे महागठबंधन में हैं. वहीं पशुपति पारस जो अब चिराग पासवान से अलग हो चुके हैं, अपनी नई पहचान बना रहे हैं. ये दोनों नेता अपनी जातियों के प्रभावी वोट बैंक के दम पर 10-15 सीटों की मांग कर सकते हैं. हालांकि महागठबंधन में उनके प्रदर्शन को लेकर आशंका भी है, इसलिए उन्हें सीमित संख्या में सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि सहनी ने 60 सीटों की मांग रखी है साथ ही वो उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहते हैं. राजद के रणनीतिकार तेजस्वी यादव खुद इस बैठक की अगुवाई कर रहे हैं. लेफ्ट पार्टियों में सीपीआई, सीपीएम और माले के प्रतिनिधि अपने पुराने प्रदर्शन को आधार बनाकर ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, राजद लगभग 135 सीटों की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस को 45 से 50 सीटों पर सीमित किया जा सकता है. हालांकि कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पार्टी 70 सीटों से कम पर समझौता नहीं करेगी. लेफ्ट पार्टियां पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर अधिक से अधिक सीटों की मांग कर रही है.  एसपी गुप्ता के भी हो रहे हैं चर्चे गांधी मैदान में हाल ही में हुई भीड़भाड़ वाली रैली ने एसपी गुप्ता को चर्चा में ला दिया है. बताया जा रहा है कि महागठबंधन अब उन्हें भी अपनी टीम में शामिल करने पर विचार कर सकता है. एसपी गुप्ता की छवि एक तेजतर्रार युवा नेता की है और वे खासतौर पर युवाओं में लोकप्रिय हैं. अगर उन्हें महागठबंधन का हिस्सा बनाया जाता है, तो कुछ सीटें उनके लिए भी छोड़ी जा सकती हैं. उनके साथ भी  एक जातिगत आधार है जो पहली बार अपनी अलग पहचान के साथ हिस्सेदारी की मांग कर रहा है.  क्या बैठक के बाद होगा औपचारिक एलान आज की बैठक के बाद संभवतः एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में महागठबंधन सीट बंटवारे को लेकर अपनी औपचारिक घोषणा कर सकता है. हालांकि अंतिम समझौते से पहले कुछ और दौर की वार्ताएं भी हो सकती हैं. बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव महज एक राजनीतिक प्रतियोगिता नहीं बल्कि गठबंधन की समझ, संतुलन और रणनीतिक सूझबूझ का इम्तिहान बनने जा रहा है. स्ट्राइक रेट के आधार पर सीट बंटवारा न केवल महागठबंधन के अंदर संतुलन बनाएगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि कौन सा दल आगामी चुनाव में कितनी ताकत के साथ मैदान में उतरता है. आज की बैठक इस दिशा में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.  
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BJP-AIADMK गठबंधन में नया ट्विस्ट, साथ चुनाव लड़ेंगे पर सरकार में साथ नहीं होंगे

BJP-AIADMK गठबंधन में नया ट्विस्ट, साथ चुनाव लड़ेंगे पर सरकार में साथ नहीं होंगे 12 अप्रैल को ही बीजेपी ने 2 साल बाद फिर AIADMK से हाथ मिलाया था. इसके लिए राज्य बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई (Annamalai) को 4 साल बाद अपना पद तक छोड़ना पड़ा था. तमिलनाडु की एआईएडीएमके ने अगले साल होने वाले तमिलनाडु चुनाव के लिए बीजेपी की योजनाओं पर पानी फेरते हुए मंगलवार को घोषणा की कि यदि उसका गठबंधन चुनाव जीतता है तो राज्य में कोई 'गठबंधन सरकार' नहीं बनेगी. एआईएडीएमके प्रमुख एडप्पादी के पलानीस्वामी (EPS) ने कहा कि तमिल पार्टी गठबंधन सरकार को स्वीकार नहीं करेगी और बीजेपी के साथ गठबंधन "केवल चुनाव के लिए" है. ईपीएस की टिप्पणियों से पता चलता है कि तमिल पार्टी गठबंधन सरकार नहीं चाहती और बीजेपी के साथ गठबंधन में सिर्फ चुनाव लड़ेगी. यह बयान ऐसे समय आया है, जब ऐसी खबरें हैं कि एआईएडीएमके के कुछ नेता बीजेपी के साथ गठबंधन से नाखुश हैं. इस नाखुशी की वजह राज्य में 2019 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों में दोनों के खराब ट्रैक रिकॉर्ड से उपजी है. कथित तौर पर वक्फ कानूनों में बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर मुसलमानों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के वोटों के संभावित नुकसान को देखते हुए भी एआईएडीएमके ने अपना रुख बदला है. तमिलनाडु में वक्फ विरोधी भावनाएं जोरों पर हैं. तमिल अभिनेता से राजनेता बने विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम ने नए वक्फ कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती भी दी है. डीएमके पहले ही इसका विरोध कर रही है. 12 अप्रैल को ही बीजेपी ने 2 साल बाद फिर AIADMK से हाथ मिलाया था. इसके लिए राज्य बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई (Annamalai) को 4 साल बाद अपना पद तक छोड़ना पड़ा था. कहा गया कि नयनार नागेंद्रन नए अध्यक्ष बनने जा रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में 2026 का विधानसभा चुनाव अन्नाद्रमुक अध्यक्ष पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. अब एआईएडीएमके के बदले रुख से बीजेपी भी हतप्रभ है. अन्नामलाई को क्यों हटाया गया आपको बता दें कि अन्नामलाई ने पद इसीलिए छोड़ा ताकि बीजेपी-AIADMK का गठबंधन राज्य में हो सके. साल 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान AIADMK नेता पलानीस्वामी ने अन्नामलाई को प्रचार का भूखा कहा था. उस वक्त दोनों के बीच जुबानी जंग देखी गई थी. अन्नामलाई से पलानीस्वामी काफी नाराज थे और गठबंधन की शर्त में अन्नामलाई को हटाना शामिल था. अन्नामलाई कौन हैं पुलिस अधिकारी से राजनीति में आए 40 साल के अन्नामलाई को राज्य में अपनी ‘एन मन एन मक्कल' (मेरी जमीन, मेरे लोग) यात्रा के लिए जाना जाता है. पार्टी की परंपरा के मुताबिक, उनके पूर्ववर्ती और मौजूदा केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने ‘वेल यात्रा' और पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने पूरे राज्य में ‘थामराई यात्रा' निकाली थी. अन्नामलाई ने 2021 के विधानसभा चुनाव में करूर जिले के अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी राजनीति की लेकिन असफल रहे.  उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं मिली. अमित शाह ने अन्नामलाई पर क्या कहा था  अन्नामलाई का पार्टी हित में चुपचाप किनारे हो जाना BJP का अनुशासन तो कहा गया लेकिन राज्य में इसे लेकर कार्यकर्ताओं में बहुत हद तक नाराजगी भी देखी गई. शुक्रवार को गठबंधन के ऐलान के दौरान अमित शाह से पूछा गया कि क्या बीजेपी ने AIADMK के साथ गठबंधन का ऐलान राज्य में अगला पार्टी चीफ मिलने के बाद फाइनल किया था? अमित शाह ने जवाब दिया कि ऐसा कुछ नहीं है. अन्नामलाई अभी भी तमिलनाडु बीजेपी के चीफ हैं.  यही वजह है कि वह उनके पास बैठे हैं.   
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हम कायर हिंदू नहीं हैं... 'हिंदू शहीद दिवस' कार्यक्रम में सुवेंदु अधिकारी ने ममता पर बोला हमला

मीडिया से बात करते हुए नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला. शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.  हिंदू आबादी भावुक है, यह दुखद है... पूरा राज्य सड़कों पर है और हिंदू शहीद दिवस मना रहा है. मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के खिलाफ हुई हिंसा के बाद बंगाल की राजनीति गर्म है. कोलकाता में 16 अप्रैल 2025 को बीजेपी ने हिंदू शहीद दिवस मनाया. बीजेपी की तरफ से यह कार्यक्रम मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए हिंदू परिवार को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया. गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद में 12 अप्रैल को हुई हिंसक प्रदर्शनों में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें एक ही परिवार के पिता हरगोबिंद दास और बेटे चंदन दास को भीड़ ने कथित तौर पर मार डाला था.  मीडिया से बात करते हुए नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर जोरदार हमला बोला. शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.  हिंदू आबादी भावुक है, यह दुखद है... पूरा राज्य सड़कों पर है और हिंदू शहीद दिवस मना रहा है... ममता को पद छोड़ देना चाहिए.  उन्हें जेल जाना चाहिए... हम कायर हिंदू नहीं हैं, हम स्वामी विवेकानंद को मानने वाले हिंदू हैं.  हिंसा की घटना को तोड़ मरोड़कर किया गया पेश : सीएम ममता बनर्जीपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ कानून को लेकर बुधवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में इमामों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने इमामों को संबोधित करते हुए माना कि मुर्शिदाबाद के कुछ इलाके अशांत रहे, कुछ घटनाएं हुईं. सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि झूठी खबरें फैलाकर पश्चिम बंगाल को बदनाम किया जा रहा है. ममता बनर्जी ने कहा कि मैं हर धर्म के सम्मान की बात करती हूं. हम राज्य में हिंदू-मुसलमान नहीं होने देंगे, मैं हाथ जोड़कर शांति की अपील करती हूं. सीएम ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं पर भी हमला हुआ. पार्टी कार्यालय पर भी हमला किया गया. मुर्शिदाबाद में बीते दिनों जिस तरह हिंसा हुई, वह एक योजना के तहत की गई. आज इस देश में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. यह भाजपा का नहीं, भारत का संविधान है. ममता बनर्जी ने कहा, "मुर्शिदाबाद जिले के कुछ इलाकों में वक्फ अधिनियम को लेकर थोड़ी बहुत घटनाएं जरूर हुई है, लेकिन इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है." उन्होंने कहा कि टीएमसी ने वक्फ कानून के खिलाफ संसद में सबसे मुखर होकर लड़ाई लड़ी, लेकिन अफवाहें फैलाकर पार्टी को बदनाम किया जा रहा है. इसके अलावा ममता बनर्जी ने भाजपा पर बाहरी लोगों को बुलाकर हिंसा का आरोप लगाया. बोलीं, "मुर्शिदाबाद की हिंसा सुनियोजित साजिश थी. घुसपैठियों को क्यों आने दिया गया? बॉर्डर की जिम्मेदारी बीएसएफ की है. राज्य सरकार के पास बॉर्डर संभालने की जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने पश्चिम बंगाल को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें पकड़ी हैं. मैं सभी इमामों और पुरोहितों का सम्मान करती हूं."  
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CJI संजीव खन्ना ने नए CJI के तौर पर जस्टिस गवई का नाम कानून मंत्रालय को भेजा

आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने CJI संजीव खन्ना से पूछा था कि वह अगले सीजेआई का नाम बताएं. CJI संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस भूषण आर गवई के नाम का प्रस्ताव कानून मंत्रालय को भेजा गया. आपको बता दें कि कानून मंत्रालय ने CJI संजीव खन्ना से पूछा था कि वह अगले सीजेआई का नाम बताएं. वर्तमान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को पूरा हो रहा है. जस्टिस गवई देश के 52 वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. वो देश के अगले सीजेआई के तौर पर 14 मई को शपथ लेंगे. उनका कार्यकाल 6 महीने का होगा.  आपको बता दें कि संजीव खन्ना ने भारत के 51वें CJI के तौर पर पिछले साल 11 नवंबर को शपथ ली थी. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई थी. उन्होंने पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली थी. डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हुए थे. नए CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल 6 महीने का है. वो 13 मई 2025 तक CJI के पद पर रहेंगे.  
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'BJP सरकार के हटते ही रद्द कर देंगे वक्फ बिल', ममता बनर्जी का बड़ा ऐलान; इमामों के साथ की बैठक

वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ममता बनर्जी की पार्टी ने संसद में भी बिल का विरोध किया था और जब बिल पास हो गया, राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई तब सीएम ने कहा था कि वे इस कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। वक्फ कानून के खिलाफ सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक घमासान मचा है। सबसे ज्यादा संग्राम ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में देखने को मिल रहा है। वक्फ कानून के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मोर्चा खोल दिया है। सीएम ममता आज कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम पहुंचीं जहां उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं और इमामों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने वक्फ कानून को लेकर इमामों को संबोधित भी किया। ममता ने कहा कि बंगाल को बदनाम किया जा रहा है। जहां हिंसा हुई वहां कांग्रेस की सीट है। उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी के सत्ता से बेदखल होते ही वक्फ संशोधन बिल को रद्द कर दिया जाएगा। 'मैं सभी इमामों और पुरोहितों का सम्मान करती हूं' ममता बनर्जी ने कहा कि यूपी और बिहार के वीडियो दिखाकर बंगाल को बदनाम किया जा रहा है। फेक न्यूज फैलाई जा रही है। बीजेपी झूठे वीडियो दिखाकर बदनाम कर रही है। सीएम ने कहा कि बॉर्डर सुरक्षा बीएसएफ की जिम्मेदारी है। बंगाल पर बोलना है तो मेरे सामने बोलों। हमने बंगाल को बदनाम करने के लिए फेक मीडिया रिपोर्ट पकड़ी है। मैं सभी इमामों और पुरोहितों का सम्मान करती हूं। हम रबिंद्रनाथ टैगोर की विचारधारा में विश्वास करते हैं। बंगाल में हिंसा भड़काने के लिए बीजेपी की साजिश में मत फंसो। वक्फ कानून को लेकर ममता बनर्जी की बड़ी मीटिंग वक्फ कानून को लेकर आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए ममता ने इमामों के साथ बैठक की जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्लाह रहमानी, AIMPLB के महासचिव फज़लुर्रहीम मुजद्दीदी और  कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु और इमाम मौजूद रहे। पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगे वक्फ कानून- CM ममता वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसे लेकर मु्स्लिम समाज के लोग सड़क पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। दरअसल, मुस्लिम समाज वक्फ़ को शरीयत का हिस्सा बता रहा है और इसलिए इसमें दखल को स्वीकरा नहीं कर रहा। यहां पर ये भी बता दें कि ममता बनर्जी की पार्टी ने संसद में भी बिल का विरोध किया था और जब बिल पास हो गया, राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई तब ममता बनर्जी ने कहा था कि वे इस कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। ममता बनर्जी की पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं।  
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पुलिस और न्याय के मामले में पश्चिम बंगाल का बुरा हाल, दक्षिण के इन राज्यों ने मारी बाजी: रिपोर्ट

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिसिंग और न्याय और जेल प्रबंधन के मामले में देश के दक्षिणी राज्य सबसे बेहतर हैं. कर्नाटक इसमें पहले पायदान पर है. जबकि पश्चिम बंगाल सबसे निचले पायदान पर है. पुलिसिंग और जस्टिस डिलीवरी के मामले में बंगाल का हाल बहुत ही बुरा है. ये खुलासा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (India Justice Report 2025) से हुआ है. वहीं न्याय के मामले में दक्षिण के पांच राज्यों ने बाजी मारी है. चौथी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिसिंग और न्याय और जेल प्रबंधन के मामले में देश के दक्षिणी राज्य सबसे बेहतर हैं. कर्नाटक इसमें पहले पायदान पर है. जबकि पश्चिम बंगाल सबसे निचले पायदान पर है. पुलिस और न्याय के मामले में बंगाल पिछड़ा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिसिंग के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे नीचे हैं, जबकि तेलंगाना पहले नंबर पर है. ज्युडिशियरी के मामले में भी पश्चिम बंगाल सबसे निचले पायदान पर है, जब कि केरल टॉप पर है. इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में फोर पिलर ऑफ जस्टिस की परफॉर्मेंस में किन राज्यों का क्या हाल है, इसकी रैंकिंग की गई है. इस रिपोर्ट में बंगाल का हाल बहुत ही खराब है. यह रिपोर्ट बताती है कि अपराध से लड़ने और न्याय देने की प्रक्रिया में राज्य आगे हैं या पिछड़े हुए हैं.  इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में बंगाल का बुरा हाल टाटा ट्रस्ट के तहत शुरू की गई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट ने 2019 में अपनी पहली रिपोर्ट पेश की थी. बड़े और मिड साइज कैटेगरी में दक्षिणी राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु  आगे रहे, जब कि इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल सबसे नीचे रहा.  उसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और राजस्थान को जगह दी गई है.  दक्षिणी राज्य कर्नाटक ने मारी बाजी रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक को 10 में से 6.78 नंबर मिले हैं, जबकि पश्चिम बंगाल का कुल स्कोर 3.63 रहा. इस साल की रैंकिंग में यह सबसे नीचे रहा है. पिछले सर्वे में 11वें नंबर पर रहने वाला तेलंगाना इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के चौथे एडिशन में  तीसरे नंबर पर पहुंच गया. जब कि 7 छोटे राज्यों में सिक्किम सबसे बढ़िया प्रदर्शन करने वाला राज्य है. वहीं गोवा सबसे पीछे रहा. 2022 से 2025 तक पुलिस के मामले में बिहार ने सबसे ज्यादा सुधार आया है  
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PM मोदी का जम्मू-कश्मीर दौरा स्थगित, 19 अप्रैल को नहीं होगा चिनाब पुल का उद्घाटन; इस वजह से लिया फैसला |

19 अप्रैल को पीएम मोदी उधमपुर में चिनाब नदी पर बने ऐतिहासिक रेलवे पुल का निरीक्षण और लोकार्पण करने वाले थे। इसी दिन कटरा से श्रीनगर के लिए वंदे भारत ट्रेन का परिचालन भी शुरू होना था। प्रधानमंत्री इस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना करने वाले थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 19 अप्रैल को होने वाला जम्मू-कश्मीर दौरा स्थगित हो गया है। इसके साथ ही दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे पुल का उद्घाटन भी टल गया है। पीएम मोदी को कटरा से श्रीनगर के लिए वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी भी दिखानी थी। लेकिन पीएम मोदी का आगामी दौरा फिलहाल स्थगित हो गया है।   PM मोदी का दौरा क्यों टला? हालांकि रेलवे प्रशासन ने इस बारे में अधिकारिक तौर पर कोई वजह नहीं बताई है लेकिन पीएम के दौरे की तैयारियों से जुड़े सूत्रों अनुसार, मौसम विभाग की चेतावनी के कारण यह कार्यक्रम स्थगित किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, 18-19 अप्रैल को कटरा और उसके आस पास के क्षेत्रों में मौसम खराब रहेगा और भारी वर्षा की संभावना है। बेसब्री से इंतजार कर रहे थे लोग बता दें कि 19 अप्रैल को पीएम मोदी उधमपुर में चिनाब नदी पर बने ऐतिहासिक रेलवे पुल का निरीक्षण और लोकार्पण करने वाले थे। इसी दिन कटरा से श्रीनगर के लिए वंदे भारत ट्रेन का परिचालन भी शुरू होना था। प्रधानमंत्री इस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना करने वाले थे। बड़ी संख्या में लोग पहले दिन वंदे भारत में यात्रा करने और इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब उन्हें इसके लिए कुछ और दिन इंतजार करना पड़ेगा। एफिल टॉवर से भी ऊंचा है चिनाब पुल सलाल बांध के पास चिनाब नदी पर 1,315 मीटर लंबे इस पुल की मुख्य मेहराब की चौड़ाई 467 मीटर है और यह 266 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाली हवा को सह सकता है। यह पुल ऊंचाई में एफिल टॉवर से भी ऊंचा है तथा नदी तल से रेल स्तर तक कुतुब मीनार से लगभग पांच गुना ऊंचा है। इंजीनियरिंग के इस चमत्कार के निर्माण में 28,000 मीट्रिक टन से अधिक इस्पात का उपयोग किया गया। भारतीय रेलवे में अपनी तरह की पहली केबल क्रेन प्रणाली शुरू की गई- जिसका उपयोग 915 मीटर चौड़ी खाई में सामग्री ले जाने के लिए किया गया। इसमें दो विशाल केबल कार और 100 मीटर से अधिक ऊंचे खंभे थे। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है और यह न केवल भूभाग को बल्कि आकांक्षाओं को भी जोड़ता है- यह मार्ग कश्मीर घाटी को शेष भारत से सभी मौसमों में भरोसेमंद रेल संपर्क मुहैया कराता है।  
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देश में 1 हजार से भी कम महिला पुलिस अफसरों के कंधों पर अहम जिम्मेदारी, 90% महिलाएं जूनियर रैंक पर कार्यरत..

पुलिस विभाग में कुल 2.4 लाख महिला कर्मियों में से सिर्फ 960 महिलाएं ही IPS रैंक की हैं। वहीं, 24,322 महिलाएं डीएसपी, इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर जैसे गैर-आईपीएस अधिकारी पदों पर कार्यरत हैं। लगभग 2.17 लाख महिलाएं पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। देश के पुलिस विभाग में डीजीपी और एसपी जैसे सीनियर पदों पर 1,000 से भी कम महिलाएं हैं तथा पुलिस विभाग में 90 प्रतिशत महिलाएं कांस्टेबल के रूप में कार्यरत हैं। टाटा ट्रस्ट द्वारा कई नागरिक समाज संगठनों तथा डेटा भागीदारों की मदद से यह रिपोर्ट ‘द इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025’ तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में पुलिस विभाग, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता जैसे चार क्षेत्रों में राज्यों की स्थिति का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कानून प्रवर्तन में लैंगिक विविधता की आवश्यकता के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद, एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पुलिस विभाग में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है। सिर्फ 960 महिलाएं ही IPS रैंक की रिपोर्ट में पुलिस वरिष्ठताक्रम में लैंगिक असमानताओं को भी रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस विभाग में कुल 2.4 लाख महिला कर्मियों में से सिर्फ 960 महिलाएं ही IPS रैंक की हैं। वहीं, 24,322 महिलाएं डीएसपी, इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर जैसे गैर-आईपीएस अधिकारी पदों पर कार्यरत हैं। आईपीएस अधिकारियों की अधिकृत संख्या 5,047 है। लगभग 2.17 लाख महिलाएं पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। एमपी में DSP पद पर सबसे ज्यादा महिलाएं डीएसपी के पद पर सबसे ज्यादा महिलाएं मध्य प्रदेश में हैं, जहां इनकी संख्या 133 है। रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 78 प्रतिशत पुलिस थानों में अब महिला हेल्प डेस्क हैं, 86 प्रतिशत जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है और कानूनी सहायता पर प्रति व्यक्ति व्यय 2019 से 2023 के बीच लगभग दोगुना होकर 6.46 रुपये पर पहुंच गया है। इसी अवधि में जिला न्यायपालिका में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई है। हालांकि जिला न्यायपालिका में अनुसूचित जनजातियों (ST) और अनुसूचित जातियों (SC) की हिस्सेदारी क्रमशः 5% और 14% ही है।  
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खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया? ऐसा कैसे कह दिया... SC ने बलात्कार मामले में HC को लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक दुष्कर्म के मामले में रेप पीड़िता को ही दोषी ठहराया था। अब इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि आप ऐसा कैसे कह सकते हैं, जानिए कोर्ट ने क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश पर नाराजगी जताई जिसमें कहा गया था कि बलात्कार पीड़िता ने खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया है। जस्टिस बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच ने इस टिप्पणी को बेहद असंवेदनशील पाया। एक विवादास्पद आदेश में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बलात्कार के एक आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता ने शराब पीकर आवेदक के घर जाने के लिए सहमत होकर "खुद ही मुसीबत को आमंत्रित किया है", यह खबर बलात्कार के प्रयास के एक मामले में एक अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा पारित "असंवेदनशील" आदेश पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप करने के कुछ दिनों बाद आई है।न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह द्वारा पिछले महीने पारित आदेश में कहा गया कि महिला एमए की छात्रा है और इसलिए वह "अपने कृत्य की नैतिकता और महत्व को समझने में सक्षम थी। कोर्ट ने कहा था कि, हां, जमानत दी जा सकती है.. लेकिन यह क्या चर्चा है कि उसने खुद मुसीबत को आमंत्रित किया आदि? ऐसी बातें कहते समय सावधान रहना चाहिए, खासकर इस तरफ (न्यायाधीशों) को। एक बात यहाँ और वहां, "न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा। न्यायमूर्ति गवई ने मामले को चार सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया।पिछले सप्ताह, सिविल सोसाइटी नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस और पीड़िता की मां द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।
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लातों के भूत बातों से नहीं मानते, जिसे बांग्‍लादेश पसंद वो... बंगाल दंगे पर CM योगी का सख्‍त बयान

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा पर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त बयान आया है. योगी ने मंगलवार को दंगाइयों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसे बांग्लादेश पसंद है, उसे वहीं चला जाना चाहिए. योगी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लातों के भूत बातों ने से नहीं मानते हैं. दंगाई डंडे से ही मानेंगे.  सीएम योगी ने कहा, 'पूरा मुर्शिदाबाद एक हफ्ते से जल रहा है. सरकार मौन है. सब लोग मौन है. कौन मौन है दंगो पर. समाजवादी पार्टी मौन है. वे धमकी से धमकी दे रहे हैं. बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है. अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए. क्यों भारत की धरती पर बोझा बने हुए हो.' याद कीजिए 2017 से पहले के उत्तर प्रदेश. हर दूसरे तीसरे दिन दंगा होता था. इन दंगाइयों का उपचार ही डंडा है. बिना डंडे के मानेंगे नहीं. आप देख रहे होंगे बंगाल जल रहा है. वहां के मुख्यमंत्री चुप हैं. दंगाइयों को शांति दूत कहते हैं. लातों के भूत बातों से कहां मानने वाले हैं.
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अमरनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही लगा श्रद्धालुओं का तांता, लंबी-लंबी लाइन में लगे दिखाई दिए लोग

अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है, ऐसे में इस यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए गए हैं। रजिस्ट्रेशन के शुरू होते ही बड़ी संख्या में लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा। बाबा बर्फानी के दर्शन खातिर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गई है। रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिस में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। तस्वीरों में लोग काफी लंबी-लंबी लाइन में लगे दिखे। रजिस्ट्रेशन के दौरान लोगों के हेल्थ का चेकअप किया गया। इसी दौरान एक श्रद्धालु ने कहा मैं दूसरी बार अमरनाथ की यात्रा पर आया हूं। मैं इसे लेकर काफी खुश हूं। खुश दिखे श्रद्धालु एएनआई से बात करते हुए लाइन में ही लगे एक अन्य श्रद्धालु ने कहा वह दूसरी बार अमरनाथ यात्रा के लिए आई हैं, मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं, मैं उम्मीद करती हूं कि मैं हर साल यह यात्रा कर पाऊं। वहीं, एक श्रद्धालु रोहित ने कहा कि वे यात्रा के लिए काफी उत्साहित हैं, हमेशा इस यात्रा के लिए हेल्थ चेकअप कराना पड़ता है, इसलिए वे भी लाइन में लगे हुए हैं। कब शुरू होगी यात्रा? जानकारी दे दें कि इस साल यह यात्रा 3 जुलाई को दो मार्ग- अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गंदेरबल जिले में बालटाल से एक साथ शुरू होगी। इसके बाद 9 अगस्त को रक्षाबंधन को यह यात्रा खत्म होगी। यात्रा की तारीखों पर बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने 5 मार्च को ही राजभवन में श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की 48वीं बैठक की थी। राज्यपाल ने की थी बैठक मीटिंग में बोर्ड की ओर से यात्रियों की सुविधा और सेवा को और बेहतर बनाने के लिए कई उपायों को लेकर प्रस्ताव रखा था। इस दौरान अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं की संभावित बढ़ती भीड़ को देखते हुए जम्मू, श्रीनगर और अन्य कई जगहों पर केंद्र बनाकर ठहरने की क्षमता बढ़ाने, ईकेवाईसी के लिए सुविधा केंद्र शुरू करने, आरएफआईडी कार्ड जारी करने और मौगाम और कटरा रेलवे स्टेशन सहित कई जगहों पर तीर्थयात्रियों का मौके पर रजिस्ट्रेशन करने के उपायों पर बात की गई थी।  
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बंगाल BJP चीफ सुकांत मजूमदार का बड़ा हमला- वक्फ में तृणमूल नेताओं की जमीन, इसीलिए भड़का रहे हिंसा..

एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में सुकांत मजूमदार ने कहा कि जब तक ममता बनर्जी नहीं चाहेगी तब तक राज्य में हिंसा की घटना नहीं कम होगी. मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी की सरकार पर जोरदार हमला बोला है. पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया है कि वक्फ में टीएमसी नेताओं की जमीन है जिस कारण राज्य सरकार की शह पर कानून का विरोध किया जा रहा है.एनडीटीवी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में सुकांत मजूमदार ने कहा कि जब तक ममता बनर्जी नहीं चाहेगी तब तक राज्य में हिंसा की घटना नहीं कम होगी.   सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी इसके माध्यम से अपनी ताकत दिखा रही है. बीजेपी नेता ने कहा कि इसके पीछे का राज है कि पश्चिम बंगाल में कलकत्ता और कई जगहों पर वक्फ की संपत्ति पर टीएमसी के नेताओं का कब्जा है.   एक सवाल के जवाब में बीजेपी नेता ने कहा कि यह आरोप गलत है कि बीजेपी राज्य में ध्रुवीकरण करना चाहती है. उन्होंने कहा कि अगर बंगाल में ध्रुवीकरण होता है तो इसका लाभ टीएमसी को मिलता है न कि बीजेपी को. बंगाल में 100 प्रतिशत मुस्लिमों का ध्रुवीकरण होता रहा है वहीं हिंदुओं का ध्रुवीकरण नहीं होता है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह दंगा मुस्लिम बहुल इलाकों में हुआ है.  हिंदुओं के इलाकों में दंगा नहीं हुए हैं. उन जगहों पर टीएमसी के सांसद विधायक हैं.   सूकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की तरफ से केंद्रीय बलों को मदद नहीं मिल रही है. उन्हें दंगा वाले इलाकों में जाने से रोका जा रहा है. उन्होंने राज्य सरकार के दावे को गलत बताया कि अब हालत कंट्रोल में है. उन्होंने कहा कि राज्य में अभी भी हिंसा हो रहे हैं. बीएसएफ के जवानों को दंगाइयों ने घेर लिया था.   केंद्र सरकार ने बीएसएफ के जवानों को किया तैनातस्थिति को नियंत्रित करने के लिए, प्रशासन ने मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने लगभग 300 बीएसएफ जवानों को तैनात किया है, और अतिरिक्त पांच कंपनियों को भी भेजा गया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है.   
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