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अगले हफ्ते संसद में लाया जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल, पास हुआ तो 2029 तक देशभर में एक साथ होंगे चुनाव

अगले हफ्ते संसद में लाया जाएगा वन नेशन वन इलेक्शन बिल, पास हुआ तो 2029 तक देशभर में एक साथ होंगे चुनाव 'एक देश, एक चुनाव' मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी एक देश एक चुनाव का वादा किया था. मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' (One Nation One Election) प्रस्ताव को 18 सितंबर को मंजूरी दे दी थी. कैबिनेट ने एक देश, एक चुनाव बिल को मंजूरी दे दी है. इस बिल के इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. 'एक देश, एक चुनाव' मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. पीएम मोदी ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी एक देश एक चुनाव का वादा किया था. मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' (One Nation One Election) प्रस्ताव को 18 सितंबर को मंजूरी दे दी थी. बता दे कि मोदी सरकार पिछले कुछ समय से एक देश एक चुनाव के लिए जोर दे रही है. सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में चुनावों पर पैसे और वर्कफोर्स की बर्बादी हो रही है.  सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन के लिए था ये तर्कचुनाव से पहले घोषित आचार संहिता के चलते विकास के काम रुक जाते हैं. एक साथ चुनाव से समय, पैसे और वर्कफोर्स की बचत होगी. विकास के काम बिना ब्रेक के पूरे होंगे. वहीं विपक्ष ने सरकार के इन तर्कों को अव्यावहारिक बताया. विपक्षी दलों ने राज्य में चुनाव कराने में चुनाव आयोग के सामने आने वाली तार्किक चुनौतियों की ओर इशारा किया है. वन नेशन वन इलेक्शन का प्रोसेस तय करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी, इसमें 8 सदस्य थे. कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था. कमिटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. कोविंद कमेटी के सुझाव-सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए.-पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. दूसरे फेज में 100 दिनों के अंदर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.-हंग असेंबली, नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं.-इलेक्शन कमीशन लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार कर सकता है.-कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए डिवाइसों, मैन पावर और सिक्योरिटी फोर्स की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश भी की है. वन नेशन वन इलेक्शन के लिए इन पार्टियों ने किया समर्थनवन नेशन वन इलेक्शन का बीजेपी, जेडीयू, तेलुगू देशम पार्टी, चिराग पासवान की LJP ने समर्थन किया है.  इसके साथ ही असम गण परिषद, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और शिवसेना (शिंदे) गुट ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है. जबकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम समेत 15 दलों ने किया है. क्या इससे पहले भारत में एक साथ चुनाव हुए? हां ऐसा हुआ है. भारत की आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे. हालांकि, 1968 और 1969 में कई राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल समय से पहले खत्म कर दिया गया. 1970 में इंदिरा गांधी ने पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही लोकसभा को भंग करने का सुझाव दिया. इससे उन्होंने भारत में एक साथ चुनाव कराने की परंपरा को भी तोड़ दिया. जबकि मूल रूप से 1972 में लोकसभा के चुनाव होने थे. अब मोदी सरकार फिर से इसे लागू करने की कोशिश में है. किन राज्यों की विधानसभाओं का कम हो सकता है कार्यकाल?-वन नेशन वन इलेक्शन लागू हुआ तो उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंड का मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा. -गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा का कार्यकाल भी 13 से 17 माह घटेगा. -असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल कम होगा. संसद में बिल को पास कराना कितना आसान और कितना मुश्किल?सरकार के लिए आम सहमति के अभाव में मौजूदा इलेक्शन के सिस्टम को बदलना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को लागू करने में संविधान में संशोधन के लिए कम से कम 6 विधेयक शामिल होंगे. सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी. NDA के पास संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत है. लेकिन, किसी भी सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना एक मुश्किल काम हो सकता है. राज्यसभा की 245 सीटों में से NDA के पास 112 सीटें हैं. विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. दो-तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोट चाहिए. यहां तक कि लोकसभा में NDA को मुश्किलें आ सकती हैं. अभी NDA के पास 545 में से 292 सीटें हैं. लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत का आंकड़ा 364 है. लेकिन, स्थिति गतिशील हो सकती है, क्योंकि बहुमत की गिनती सिर्फ उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के संदर्भ में की जाएगी. वन नेशन वन इलेक्शन की क्या होंगी चुनौतियां?-वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर संघवाद की चिंता भी है. कुछ जानकारों का कहना है कि इससे भारत की राजनीतिक व्यवस्था के संघीय ढांचे पर असर पड़ेगा. राज्य सरकारों की स्वायत्तता कम होगी. विधि आयोग भी मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था में एक साथ चुनाव की व्यावहारिकता पर सवाल उठा चुका है. -व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो एक साथ चुनाव कराने में भारी मात्रा में संसाधनों की ज़रूरत पड़ेगी, जिसका इंतजाम करना चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है. एक साथ चुनाव कराने के लिए बड़ी मात्रा में EVM और ट्रेंड लोगों की ज़रूरत पड़ेगी. ताकि, पूरी चुनावी प्रक्रिया ठीक से पूरी की जा सके. -वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का भी सवाल है. अक्सर होने वाले चुनावों के ज़रिए जनता समय-समय पर अपनी पसंद तय कर सकती है, लेकिन अगर सिर्फ 5 साल बाद ऐसा होगा, तो जनता की इस पसंद को ज़ाहिर करने में दिक्कत आएगी. कैबिनेट ने कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को दी मंजूरी, जानिए एक साथ चुनाव पर अब तक के घटनाक्रम -इससे एक पार्टी के प्रभुत्व का ख़तरा बढ़ जाएगा. कई अध्ययन बताते हैं कि जब भी एक साथ चुनाव होते हैं, तो एक ही पार्टी के राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के जीतने की संभावना बढ़ जाती है. जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दों में घालमेल हो जाता है.  -वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कई कानूनी पेचीदगियां हैं. कई जानकारों का कहना है कि एक देश एक चुनाव के कानून को कई संवैधानिक सिद्धांतों पर भी खरा उतरना पड़ेगा. 2009 से अब तक कितनी बार हो चुकी चुनावी प्रक्रिया?2009 से अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए निर्वाचन आयोग 34 बार चुनाव प्रक्रिया पूरी कर चुका है. इनमें से कई बार लोकसभा और कई विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए हैं या कई बार अलग-अलग कराए गए हैं. इन दिनों ही हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की चुनाव प्रक्रिया एक साथ हो रही है. अगर एक देश, एक चुनाव होता है तो ये चुनाव प्रक्रिया पांच साल में एक ही बार होगी या फिर बीच में कुछ विधानसभाएं भंग हुईं, तो उतनी बार चुनाव होंगे.  
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हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया ने पीएम मोदी को भेंट किया 'नवभारत रत्न', जानें क्या है इसकी खासियत

हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया ने पीएम मोदी को भेंट किया 'नवभारत रत्न', जानें क्या है इसकी खासियत मशहूर हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को खास भेंट दी है। गोविंद ढोलकिया ने पीएम मोदी को भारत के नक्शे के आकार में तराशे गए हीरे को भेंट किया है। इस हीरे को नवभारत रत्न नाम दिया गया है। मशहूर हीरा कारोबारी और राज्यसभा सांसद गोविंद ढोलकिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को एक खास भेंट दी है। दरअसल गोविंद ढोलकिया ने पीएम नरेंद्र मोदी को भारत के नक्शे के आकार में तराशे गए प्राकृतिक हीरे को उन्हें भेंट किया है। बता दें कि इस हीरे को 'नवभारत रत्न' नाम दिया गया है। गोविंद ढोलकिया प्राकृतिक हीरों के निर्माण और निर्यात कंपनी श्री रामकृष्ण एक्सपोर्ट्स (SRK) के संस्थापक-चेयरमैन हैं। पीएम मोदी को जो नवभारत रत्न हीरा भेंट किया गया है, वह 2.120 कैरेट का उत्कृष्ट हीरा है जो भारत की एकता, सुंदरता और अनंत चमक का प्रतीक है। पीएम नरेंद्र मोदी को तोहफे में मिला 'नवभारत रत्न' बता दें कि सूरत के कुशल शिल्पकारों ने बड़ी ही बारीकी और मेहनत से इस हीरे को तैयार किया है, जिसे नवभारत रत्न नाम दिया गया है। इस हीरे को तैयार करने में 3700 मिनट की मेहनत लगी है। साथ ही योजनाबद्ध तरीके से और बेहद बारीक प्रक्रिया के जरिए इस हीरे को तैयार किया गया है। यह न केवल भारत की समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि भारत के उज्जवल भविष्य को समर्पित एक श्रद्धांजलि भी हैं। नवभारत रत्न हीरे की उत्कृष्टता कारीगरी और समर्पण का जीता-जागता प्रमाण है, जो रत्न कलाकार राजेशभाई कछाड़िया और विशालभाई इटालिया जैसे एक्सपर्ट्स की मेहनत के बाद साकार हुआ है। घंटों की मेहनत, तब जाकर हुआ तैयार बता दें राजेशभाई कछाड़िया को एसआरके में काम करने का 14 वर्षों का अनुभव है। उन्होंने हीरे से भारत के नक्शे को तैयार करने में 40 घंटे का समय दिया है। साथ ही उन्होंने अपने इस कार्य को एक सैनिक के बलिदान के समान माना है। साथ ही विशालभाई इटालिया एसआरके में 6 सालों से कार्यरत हैं। उन्होंने हीरे की गिर्डल को 22 घंटे तक बारीकी से पॉलिश किया। इन दोनों की कड़ी मेहनत के बाद ही नवभारत रत्न को तैयार किया जा सका। बता दें नवभारत रत्न न केवल एक हीरा है, बल्कि यह भारत के उज्जवल भविष्य का प्रतीक है।   
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सभी सरकारी विभागों, PSU में आंतरिक शिकायत समिति का गठन करें - POSH अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश

सभी सरकारी विभागों, PSU में आंतरिक शिकायत समिति का गठन करें - POSH अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH अधिनियम) के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं. दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर जताई चिंता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH अधिनियम) के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों (PSU's) में आंतरिक शिकायत समिति गठित करें. अधिनियम के प्रावधानों को पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने POSH अधिनिय के प्रभावी क्रियान्यवनय में चूक पर भी चिंता जताई है. जस्टिस बी वी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राष्ट्रव्यापी अनुपालन के महत्व को रेखांकित किया और निर्देश दिया कि अधिनियम के प्रावधानों को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, "हम दिल्ली से नहीं हैं.⁠कर्नाटक से दिल्ली तक ट्रेन से यात्रा करते हुए मैंने ऐसा किया है.⁠यह पूरे देश में किया जाना चाहिए." ⁠अदालत ने अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश पारित किए हैं. ⁠इसमें सभी सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए आंतरिक शिकायत समितियों का गठन और शीबॉक्स पोर्टल का निर्माण शामिल है जहां महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं. ⁠मई 2023 के फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 (POSH अधिनियम) के होने के एक दशक बाद भी, इसके प्रभावी प्रवर्तन में गंभीर खामियां बनी हुई हैं. ⁠न्यायालय ने जोर देकर कहा कि सभी राज्य पदाधिकारी, सार्वजनिक प्राधिकरण, निजी उपक्रम, संगठन और संस्थान POSH अधिनियम को अक्षरशः लागू करने के लिए बाध्य हैं.⁠इसलिए न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को सकारात्मक कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि POSH अधिनियम को लागू करने के पीछे का उद्देश्य वास्तविक रूप से प्राप्त हो. ⁠इसने इस मामले में वकील पद्मा प्रिया को एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया था.  
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श्रीनगर के हरवान इलाके में मुठभेड़, एक आतंकी ढेर, सर्च ऑपरेशन जारी

श्रीनगर के हरवान इलाके में मुठभेड़, एक आतंकी ढेर, सर्च ऑपरेशन जारी खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच यह मुठभेड़ चालू हुई है. जानकारी के मुताबिक श्रीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित दाचीगाम वन में यह एनकाउंटर हुआ है. जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के हरवान इलाके में मुठभेड़ में एक आतंकी को ढेर कर दिया गया है. इसके बाद भी सर्च ऑपरेशन जारी है. खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच यह मुठभेड़ चालू हुई है. जानकारी के मुताबिक श्रीनगर के बाहरी हिस्से में स्थित दाचीगाम वन में यह एनकाउंटर हुआ है. इसके बाद अभी भी ऑपरेशन जारी है. 
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मुख्यमंत्री को लेकर महायुति में अब तक क्यों नहीं बन पायी सहमति? महाराष्ट्र में जुबानी जंग तेज

मुख्यमंत्री को लेकर महायुति में अब तक क्यों नहीं बन पायी सहमति? महाराष्ट्र में जुबानी जंग तेज शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने रविवार को कहा कि अगर अजित पवार की राकांपा महायुति का हिस्सा नहीं होती, तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में 90-100 सीटें जीत सकती थी. मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की भारी जीत के बाद भी सरकार गठन को लेकर असमंजस के बीच रविवार को गठबंधन से असहमति के स्वर उभरे. महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल है. इस गठबंधन ने राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतीं. भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि शिवसेना को 57 और राकांपा को 41 सीटें मिलीं. शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने रविवार को कहा कि अगर अजित पवार की राकांपा महायुति का हिस्सा नहीं होती, तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में 90-100 सीटें जीत सकती थी. अजित पवार पिछले साल जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हुए थे और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. निवर्तमान सरकार में मंत्री पाटिल ने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘‘हमने केवल 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था. अजित दादा के बिना हम 90-100 सीटें जीत सकते थे. शिंदे ने कभी नहीं पूछा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को उनकी सरकार में क्यों शामिल किया गया.'' उन्होंने शिंदे की भी प्रशंसा की और कहा कि शिंदे एक बड़े दिल वाले व्यक्ति हैं, जो नाराज होने के बजाय मुकाबले में विश्वास करते हैं. गायकवाड़ ने 20 नवंबर को हुए चुनाव में बुलढाणा में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) उम्मीदवार जयश्री शेलके के खिलाफ मात्र 841 मतों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी. गायकवाड़ ने दावा किया, ‘‘जाधव ने शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के एक करीबी सहयोगी को फोन किया और उनसे शेलके को मेरे खिलाफ मैदान में उतारने के लिए कहा. कुटे ने भी शिवसेना (उबाठा) नेता अनिल परब को फोन करके यही अनुरोध किया. मेरी पार्टी या गठबंधन का एक भी जिला स्तरीय नेता मेरे साथ नहीं था.'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘कुटे ने आधी रात को शेलके से मुलाकात क्यों की? सहयोगी दलों के नेता इस तरह से क्यों पेश आते हैं.''जाधव बुलढाणा से सांसद हैं और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में आयुष के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री हैं. कुटे ने जलगांव (जामोद) विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. इस बीच, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि यदि भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने सहयोगी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा होता, तो महायुति को मिली जीत से कहीं अधिक बड़ी जीत होती. मुंबई में भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद दानवे ने कहा, ‘‘शिवसेना संजय राउत की वजह से टूटी. आप छह महीने इंतजार करें. वह उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के बीच भी दरार पैदा करेंगे.'' दानवे ने कहा, ‘‘अगर शिवसेना नहीं टूटी होती और उसने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो हमारी जीत अब तक मिली जीत से बड़ी होती. 2019 में भी हमने विधानसभा चुनाव आराम से जीते थे.'' महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को भारी जीत मिलने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद भी नयी सरकार का गठन नहीं हुआ है. भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने शनिवार को कहा कि नयी महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह पांच दिसंबर की शाम दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसमें शामिल होंगे. नयी सरकार में शिंदे की भूमिका को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, जबकि उनके कुछ सहयोगियों ने खुले तौर पर कहा है कि शिवसेना को महत्वपूर्ण गृह विभाग दिया जाना चाहिए.  
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अमेरिका में भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्‍या, चार महीने पहले ही गया था शिकागो

अमेरिका में भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्‍या, चार महीने पहले ही गया था शिकागो अमेरिका के शिकागो में एक भारतीय छात्रों की गोली मारकर हत्‍या (Indian Student Shot Dead in US) कर दी गई. छात्र की हत्‍या की खबर सुनने के बाद से ही परिवार सदमे में है. तेलंगाना: अमेरिका के शिकागो में एक भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्‍या (Indian Student Shot Dead in US) कर दी गई. यह छात्र तेलंगाना (Telangana) के खम्‍मम जिले के रामन्‍नापेट का रहने वाला था और कुछ महीनों पहले ही पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंचा था. छात्र की मौत की खबर सुनने के बाद से ही उसका परिवार सदमे में है और इस घटना से स्‍थानीय लोग भी काफी दुखी हैं.  जानकारी के मुताबिक, शिकागो की एक यूनिवर्सिटी में गोलीबारी की यह घटना हुई है. मृतक की पहचान 26 साल के नुकरपु साई तेजा के रूप में हुई है. वह चार महीने पहले ही अपनी पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंचा था.  गोलीबारी के वक्‍त यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा था छात्र  तेजा Jay King University में अपनी मास्‍टर डिग्री के लिए पढ़ाई कर रहा था. बताया जा रहा है कि जिस वक्‍त यह गोलीबारी हुई वह यूनिवर्सिटी में ही पढ़ रहा था. इस मामले में अभी तक हमलावरों को पकड़ा नहीं जा सका है.  यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी भारतीय छात्र की अमेरिका में मौत हुई है. इस तरह के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं. सितंबर में एक सडक दुर्घटना में चार भारतीय छात्रों की मौत हो गई थी. वहीं जुलाई में ट्राइन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र की न्यूयॉर्क राज्य के अल्बानी में एक झरने में डूबने से मौत हो गई थी.  अलग-अलग कारणों से इस साल कई छात्रों की जान जा चुकी है. वहीं भारतीय छात्रों के खिलाफ गोलीबारी की घटनाओं के कारण भारतीयों में डर का माहौल है. 
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Politics: 'भाई जगताप का बयान चुनाव आयोग का अपमान...यह बर्दाश्त नहीं'; कांग्रेस नेता को भाजपा का करारा जवाब

Politics: 'भाई जगताप का बयान चुनाव आयोग का अपमान...यह बर्दाश्त नहीं'; कांग्रेस नेता को भाजपा का करारा जवाब चुनाव आयोग के लिए कांग्रेस नेता भाई जगताप की विवादित टिप्पणी पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव आयोग को लिखा है और मुंबई पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत भी दर्ज कराई है। कांग्रेस नेता भाई जगताप की चुनाव आयोग पर की गई विवादित टिप्पणी पर बहस छिड़ गई है। उनके बयान पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने पलटवार किया है। किरीट सोमैया ने कहा कि मैंने चुनाव आयोग को इस बारे में पत्र लिखा है। उन्होंने भाई जगताप के बयान को चुनाव आयोग का अपमान करार दिया और कहा इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता भाई जगताप ने ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए चुनाव आयोग को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अगर कोई ईवीएम पर शक करता है तो उसका जवाब दिया जाना चाहिए।      कांग्रेस नेता के बयान पर भाजपा ने किया पलटवार   चुनाव आयोग के लिए कांग्रेस नेता भाई जगताप की विवादित टिप्पणी पर बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव आयोग को लिखा है और मुंबई पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत भी दर्ज कराई है। इस तरह का बयान, चुनाव आयोग का अपमान है, जोकि एक संवैधानिक संस्था है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पिछले दो दिनों में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) हर कोई ईवीएम और चुनाव आयोग पर निशाना साध रहा है। क्योकि हर कोई आगामी बीएमसी के चुनावों के परिणामों को लेकर डर रहा है।  भाई जगताप ने चुनाव आयोग पर दिया था विवादित बयान   कांग्रेस नेता ने गुरुवार को चुनाव आयोग को लेकर विवादित बयान भी दिया था। महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों पर उन्होंने कहा था, चुनाव आयोग तो कुत्ता है, जो नरेंद्र मोदी के बंगले के बाहर बैठता है। हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बनाई गई एजेंसियां नरेंद्र मोदी के दबाव में कठपुतली बन गई हैं। ये एजेंसिया हमारे लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए थीं, दुर्भाग्यवश अब उनका गलत इस्तेमाल हो रहा है। महाराष्ट्र और देशभर में हो रही घटनाएं दिखाती हैं कि किस प्रकार से व्यवस्था में हेराफेरी की जा रही है।      और क्या बोले थे भाई जगताप   भाई जगताप ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अगर कोई ईवीएम पर शक करता है तो उसका जवाब दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं और अप्रैल 2024 में कोर्ट ने फैसला दिया था कि वीवीपैट स्लिप की गिनती की जानी चाहिए। याचिका में 50 फीसदी वीपीपैट स्लिप की गिनती की मांग की गई थी, लेकिन शीर्ष कोर्ट ने इसे 5 फीसदी की बात की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।      'मतपत्र की बात करते थे मोदी-आडवाणी'   उन्होंने आगे कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मत पत्र की बात की थी, तो अब क्या हुआ? इसी तरह (भाजपा के वरिष्ठ नेता) लाल कृष्ण आडवाणी ने भी यही बात कही थी। वे आरोप लगा रहे हैं कि हम यह मुद्दा केवल इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र चुनाव हार गए। लेकिन आप भी तब यही बात करते थे। जगताप ने कहा, अगर ईवीएम में कोई गड़बड़ी है तो इसकी जांच होनी चाहिए और सुधार किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को सही प्रणाली में भरोसा हो। हमें मतपत्रों से वोट डालने में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि हम अपना मतपत्र खुद देखते हैं। उस पर मुहर लगाते हैं और उसे जमा करते हैं। इस तरह छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है।   
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अयोध्या के राम मंदिर में बदला गया दर्शन का नियम, अब सभी को साथ रखना होगा ये कार्ड

अयोध्या के राम मंदिर में बदला गया दर्शन का नियम, अब सभी को साथ रखना होगा ये कार्ड अयोध्या: अगर आप अयोध्या घूमने जा रहे हैं और राम मंदिर दर्शन करने जाना है तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. राम मंदिर ट्रस्ट ने पास की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव किया है. दरअसल, राम मंदिर ट्रस्ट ने पास धारक दर्शनार्थियों के लिए एक नियम लागू किया है. अगर आप राम दर्शन के लिए पास बनवाकर जाना चाहते हैं तो फिर आपको इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य रूप से अपने पास रखना होगा. पहले राम भक्त एक आधार कार्ड पर सुगम दर्शन अथवा विशिष्ट दर्शन पास बनवाते थे लेकिन अब राम मंदिर ट्रस्ट में पूर्ण रूप से सभी भक्तों के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. राम मंदिर के राम कचहरी स्थित तीर्थ क्षेत्र कार्यालय में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. अब अगर आप विशिष्ट अथवा सुगम दर्शन पास बनवाना चाह रहे हैं तो सभी लोगों के आधार कार्ड अनिवार्य हो गए हैं. यानी जितने लोग दर्शन करने जाएंगे उतने लोगों के आधार कार्ड अनिवार्य रहेंगे. अभी तक ऐसा नियम था कि अगर एक साथ या एक परिवार के कई लोग हैं तो एक ही आधार कार्ड पर उन सभी लोगों के नाम से पास बन जाते थे लेकिन अब सभी को अपना आधार कार्ड साथ में रखना होगा. उदाहरण के लिए अगर आप 4 दोस्त या परिवार के ही 4-5 लोग साथ में हैं तो सभी को अपना आधार कार्ड साथ रखना होगा. हालांकि, रामलला के दर्शन के लिए प्रतिदिन छह स्लॉट निर्धारित हैं. राम मंदिर दर्शन का समयसुबह 7 से 9, 9 से 11, दोपहर 1 से 3 बजे, 3 से 5, शाम 5 से 7 और 7 से रात्रि 9 बजे तक दर्शन की सुविधा है. हर स्लॉट में 600 सुगम और 50 विशिष्ट पास बनाए जाते हैं.  
राज्य  उत्तर प्रदेश 

उत्तर प्रदेश सरकार 13 जनवरी, 2025 से प्रारंभ हो रहे प्रयागराज महाकुम्भ के लिए देश के सभी राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित करने के लिए अपने मंत्रियों को वहां भेजेगी.

उत्तर प्रदेश सरकार 13 जनवरी, 2025 से प्रारंभ हो रहे प्रयागराज महाकुम्भ के लिए देश के सभी राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित करने के लिए अपने मंत्रियों को वहां भेजेगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुक्रवार शाम लोक भवन में बुलाई गई मंत्रियों की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया है. यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष के नेताओं से भी संपर्क किया जाएगा, तो मंत्री ने कहा, “ क्यों नहीं, हम विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत सभी से मिलेंगे और उन्हें आमंत्रित करेंगे.” #Mahakumbh2025 #CMYogiAdityanath #BJPGovernment #YogiGovernment #mahakumbh #prayagraj ##undekhikhabar
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एक दिन में 'रेल नीर' का कितने लाख लीटर पानी पी जाते हैं ट्रेन के यात्री ?

एक दिन में 'रेल नीर' का कितने लाख लीटर पानी पी जाते हैं ट्रेन के यात्री ? सरकार ने संसद में दी जानकारी संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस सत्र में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्रेन से जुड़ी कई जानकारियां सदन को दी हैं। इसमें ये भी शामिल है कि एक दिन में कितने लाख लीटर रेल नीर पानी की सप्लाई हो रही है। देशभर में बड़ी संख्या में लोग ट्रेन में सफर करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन में कितने लीटर पीने के पानी की खपत ट्रेन में होती होगी? संसद के अंदर केंद्र सरकार ने इस बात की जानकारी दी है। बुधवार को लोकसभा को एक लिखित जवाब में रेल मंत्री अश्विनी वैषणव ने बताया कि रेलवे नेटवर्क पर ट्रेन यात्रियों को रोजाना करीब 13 लाख लीटर बोतल बंद पेयजल 'रेल नीर' की आपूर्ति की जा रही है।  पेयजल की गुणवत्ता की समय-समय पर होती है जांच लोकसभा में भारतीय रेलवे द्वारा सभी स्टेशनों पर सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयासों से अवगत कराते हुए सरकार ने वहां स्थापित वाटर वेंडिंग मशीनों (WVM) का जोनवार ब्यौरा भी उपलब्ध कराया। रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध कराए जा रहे पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर जांच और आवश्यक सुधारात्मक कार्रवाई करने के निर्देश हैं। तुरंत किया जाता है शिकायतों का समाधान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने देशभर के रेलवे स्टेशनों पर पेयजल की आपूर्ति के बारे में जानने के लिए भाजपा सांसद अनूप संजय धोत्रे द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'पेयजल सुविधाओं का नियमित निरीक्षण और रखरखाव किया जाता है। शिकायतों का तुरंत समाधान किया जाता है।'  किन चैनल्स के जरिए मिलती हैं शिकायतें? पानी की आपूर्ति सहित सेवाओं में कमी के बारे में शिकायतें विभिन्न चैनलों जैसे वेब पोर्टल, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से प्राप्त होती हैं। ये शिकायतें रेलवे बोर्ड, जोनल रेलवे, डिवीजन कार्यालय आदि सहित विभिन्न स्तरों पर प्राप्त होती हैं। तुरंत की जाती है कार्रवाई प्राप्त शिकायतों को रेलवे के संबंधित विंग को भेज दिया जाता है। उन्हें जांचने और संबोधित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाती है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'ऐसी शिकायतें प्राप्त होना और उन पर की गई कार्रवाई एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है, इसलिए इनका केंद्रीकृत संग्रह नहीं रखा जाता है।' 954 लगाई गईं पानी की वेंडिंग मशीनें पानी वेंडिंग मशीनों का जोनवार विवरण प्रदान करते हुए मंत्री ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर 954 ऐसी मशीनें लगाई गई हैं। वैष्णव ने कहा, 'भारतीय रेलवे ट्रेनों और स्टेशनों पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा अनुमोदित सुरक्षित और किफायती पैकेज्ड पेयजल बोतलें - रेल नीर भी प्रदान करता है। भारतीय रेलवे नेटवर्क में ट्रेनों और स्टेशनों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को प्रतिदिन लगभग 13 लाख लीटर रेल नीर की आपूर्ति की जा रही है।'  
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली आगामी 2 से 5 दिसंबर के बीच चीन की राजधानी बीजिंग का दौरा करेंगे

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली आगामी 2 से 5 दिसंबर के बीच चीन की राजधानी बीजिंग का दौरा करेंगे. इस यात्रा में वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे. यह ओली की इस कार्यकाल में किसी पड़ोसी देश की पहली यात्रा होगी. इस बार ओली ने परंपरा को तोड़ते हुए भारत के बजाय चीन को अपनी पहली यात्रा के लिए चुना है. नेपाल के पिछले प्रधानमंत्रियों ने सामान्यतः भारत को अपनी पहली यात्रा का गंतव्य बनाया है. हालांकि, 2008 में पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल 'प्रचंड' ने सबसे पहले चीन की यात्रा की थी. ओली के इस फैसले को नेपाल और चीन के मध्य संबंधों को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा की घोषणा करते हुए बताया कि चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग के निमंत्रण पर ओली यह यात्रा कर रहे हैं. इस दौरान ओली चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे और चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. #NepalPM #China #KPOli #XiJinping
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भारतीय नौसेना का बड़ा ऑपरेशन, अरब सागर से 500 किलो ड्रग्स बरामद

भारतीय नौसेना का बड़ा ऑपरेशन, अरब सागर से 500 किलो ड्रग्स बरामद  भारतीय नौसेना ने श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त अभियान में अरब सागर से 500 किलोग्राम नशीला पदार्थ जब्त किए है. जब्त की गई दोनों नावें, उस पर सवार व्यक्ति और ड्रग्स को श्रीलंका सरकार को सौंप दिया गया है, जहां उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. जब्त की गई दवाएं क्रिस्टल मेथ थीं, जिन्हें दो नावों से जब्त किया गया था. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में देश में अलग-अलग जगहों पर बड़े पैमाने पर ड्रग्स जब्त किए गए हैं. हाल ही में, भारतीय तटरक्षक बल ने अंडमान और निकोबार जल में 5,500 किलोग्राम मेथमफेटामाइन दवा जब्त की. एक तटरक्षक पायलट ने नियमित निगरानी के दौरान अंडमान और निकोबार में बैरोन द्वीप के पास एक संदिग्ध नाव देखी. चेतावनी के बाद भी जब चालक दल ने नाव को पलटने की कोशिश की तो तटरक्षक बल हरकत में आया और नाव को जब्त कर लिया.(Indian Navy joint operation with Srilanka Navy)  भारत में क्यो हो रही है दवाओं की तस्करी ?मादक पदार्थों की तस्करी न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा, राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती है. रिपोर्टस के मुताबिक, दुनिया भर में नशीली दवाओं की तस्करी का मौजूदा बाजार 650 अरब डॉलर का है, जो पूरी दुनिया की अवैध अर्थव्यवस्था का 30 फीसदी है. भारत का दुर्भाग्य यह है कि देश मादक पदार्थों की तस्करी के (स्वर्णिम त्रिकोण) जाल में फंस गया है. अफ़ग़ानिस्तान के बाद, म्यांमार अफ़ीम का सबसे बड़ा उत्पादक और हेरोइन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. इसके चलते म्यांमार से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी होती है. इसके अलावा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान भी मादक पदार्थों की तस्करी के लिए कुख्यात हैं. इन तीनों देशों के अपराधी भारत में ड्रग्स बेचते हैं और भारतीय समुद्री इलाकों से पश्चिम और दुनिया के अन्य देशों में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की तस्करी की जाती है. यही कारण है कि भारत में अक्सर बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों के निर्यात के मामले सामने आते रहते हैं.  
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