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दुखों पर विजय प्राप्त करनी है तो शनि को समझें
शनि देव का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. लेकिन सबसे अधिक वर्णन पुराणों में मिलता है. शनि को एक क्रूर ग्रह मान लोग भयभीत होते हैं. यही कारण है कि वर्तमान समय में शनि ग्रह की चर्चा सबसे अधिक होती है.
शनि कौन हैं? इनका जीवन में क्या भूमिका है? इस बारे में लोगों का ज्ञान सीमित है. यही कारण है शनि देव को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी हैं. इसलिए शनि के बारे में जानना आवश्यक हो जाता है. ऋग्वेद में शनि को पाप और रोगों का नाश करने वाले देवता के रूप में बताया गया है. अथर्ववेद में शनि देव (Shani Dev) की प्रार्थना के लिए एक श्लोक मिलता है. शनि का हमारे जीवन में आने वाले सुख-दुख से गहार नाता है.
शनि देव का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. लेकिन सबसे अधिक वर्णन पुराणों में मिलता है. शनि को एक क्रूर ग्रह मान लोग भयभीत होते हैं. यही कारण है कि वर्तमान समय में शनि ग्रह की चर्चा सबसे अधिक होती है.
शनि कौन हैं? इनका जीवन में क्या भूमिका है? इस बारे में लोगों का ज्ञान सीमित है. यही कारण है शनि देव को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी हैं. इसलिए शनि के बारे में जानना आवश्यक हो जाता है. ऋग्वेद में शनि को पाप और रोगों का नाश करने वाले देवता के रूप में बताया गया है. अथर्ववेद में शनि देव (Shani Dev) की प्रार्थना के लिए एक श्लोक मिलता है. शनि का हमारे जीवन में आने वाले सुख-दुख से गहार नाता है.
शनि दुखों का हरने वाले हैं!
शनि देव दुख देने वाले नहीं बल्कि दुखों को दूर करने वाले हैं. दुख का सबसे बड़ा कारण लोभ है. लोभ समस्त बुराईयों का कारक है. शनि कर्म प्रधान हैं. शनि कहते हैं जो प्राप्त करना चाहते हैं उसे परिश्रम से प्राप्त करें.
लोभ या लालच के चलते गलत कार्यों को नहीं करना चाहिए. जो लोग अनैतिक कार्यों से सफलता प्राप्त करते हैं शनि उन्हें समय आने पर सख्त सजा देते हैं. दुख पर विजय प्राप्त करनी है तो शनि के दर्शन को जानें.
शनि (Shani Dev) कहते हैं अपने कर्म को शुद्ध रखो. आलस का त्याग कर कठोर परिश्रम करें. सभी के कल्याण के लिए कर्म करें. सही और गलत का भेद करें. सही चीज का हिस्सा बनें और गलत का त्याग करें.